बेसिक शिक्षा विभाग के फर्जी शिक्षकों तक पहुंचने में छूट रहे पसीने
जिले के बेसिक शिक्षा विभाग के अधीन परिषदीय स्कूलों में फर्जी दस्तावेजों के सहारे नौकरी हथियाने वालों की बहुतायत है। जिला फर्जी शिक्षकों का हब होने के बाद भी अफसर चुप्पी साधे हैं। एक माह के भीतर जिले में 120 शिक्षकों के खिलाफ नगर कोतवाली में मुकदमा दर्ज हो चुका है। अब तक एक भी जालसाज की गिरेबां तक पुलिस के हाथ नहीं पहुंच सके हैं। पुलिस मुकदमा लिखने के बाद बैठ गई है, जिससे फर्जी शिक्षकों के रैकेट का राजफाश नहीं हो पा रहा है। पूर्व में भी फर्जी शिक्षकों के खिलाफ एफआइआर दर्ज हो चुकी है, लेकिन मास्टरमाइंड पर तक पहुंचने में
पुलिस को पसीने छूट रहे हैं। शिक्षा के क्षेत्र में बलरामपुर नीति आयोग के आकांक्षात्मक जनपदों में शुमार है। विभिन्न शिक्षक भर्ती के दौरान यहां अध्यापकों की नियुक्ति कर पिछड़ेपन के कलंक को धुलने का प्रयास भी हुआ। गुरुजनों की कमी तो दूर हुई, लेकिन इसकी आड़ में जालसाजों ने भी अपना कारनामा कर दिखाया। विभागीय अधिकारियों की दरियादिली का आलम यह रहा कि कूटरचित दस्तावेजों के सहारे नौकरी करने वालों पर मुकदमा लिखाने में भी आनाकानी करते रहे।
एक माह बाद पुलिस खाली हाथ अप्रैल में महानिदेशक स्कूल शिक्षा ने जब फर्जी शिक्षकों पर मुकदमा लिखाने के लिए अफसरों के पेच कसे, तो जिले के आला अधिकारी हरकत में आ गए। आनन-फानन में विभिन्न शिक्षक भर्ती के दौरान कूटरचित अभिलेख के सहारे नौकरी पाने वाले 92 शिक्षकों के खिलाफ नगर कोतवाली में तहरीर दी गई। इसकी विवेचना उपनिरीक्षक किसलय मिश्र को सौंपी गई थी। इसके बाद 28 अन्य शिक्षकों के खिलाफ एफआईआर दर्ज हुई थी। एक माह से अधिक समय बीत चुका है, लेकिन इन शिक्षकों की गिरफ्तारी नहीं हो सकी है।
चल रही हे विवेचना: नगर कोतवाल मानवेंद्र पाठक का कहना है कि विवेचना चल रही है। अब तक चुनाव में व्यस्तता चल रही थी। जल्द ही विवेचना अधिकारी से प्रगति रिपोर्ट ली जाएगी।